नेक कर्म

कर्म करले नेक फिर बीता न कोई पल मिले 


होगा जैसा कर्म जिसका वैसा उसको फल मिले 


दुश्चरित्रों की भी सह लो है इसी में उच्चता


बल न सहने का यदि तो घुन-घृणा को बल मिले


रास यदि आई न दुनिया तो रुदन यह किसलिए 


हर समस्या का यहाँ संघर्ष ही से हल मिले


आग लग जाने पे खोदा भी तो क्या खोदा कुआं


बात तो तब है शमन को आग के जब जल मिले


लाख गहराई में ढूंढो श्रम है वो सारा वृथा


हाथ मोती क्या लगे जब तक न जल का तल मिले


जीत सकते हो हृदय 'अर्पित' सरल व्यवहार से


बात अचरज की नहीं जो छल के बदले छल मिले


--अर्पित अनाम


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