प्रतिबन्ध हमें मंजूर नहीं . -------------------------- किसी भी तरह की आज़ादी पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए . अफवाहों का प्रतिकार किया जाना चाहिए . अफवाह फ़ैलाने वाले स्वयं अपनी विश्वसनीयता खो देंगे . हाँ, सोशल मीडिया में फेक आईडी कायम न हो, इसके लिए ज़रुरी प्रबंध हों .
क्या लोक संसद ही व्यवस्था परिवर्तन है ? ------ बजरंग मुनि आज भी भारत में बहुत लोग ऐसे हैं जो रामराज्य के समर्थक हैं। गांधी जी भी रामराज्य को आदर्श स्थिति मानते थे। रामराज्य का अर्थ है सुराज्य अर्थात अच्छे व्यक्ति का शासन। प्रश्न उठता है कि राम के काल में सुशासन था तो रावण का कुशासन भी तो राम के ही कालखण्ड में था। तो क्या उस समय सुशासन या कुशासन राजा की इच्छा पर निर्भर करता था तथा जनता की उसमें कोई भूमिका नहीं थी? क्या राजा पूर्ण तानाशाह था? और यदि वास्तव मे राम के काल मे ऐसा ही था तो हमे ऐसा राम राज्य नही चाहिये। चाहे ऐसे रामराज्य की प्रशंसा गांधी करे या अन्ना हजारे। व्यवस्था तीन प्रकार की होती है (1) राजतंत्र या तानाशाही (2) लोकतंत्र (3) लोक स्वराज्य। तानाशाही में शासन का संविधान होता है। लोकतंत्र में संविधान का शासन होता है किन्तु संविधान निर्माण में लोक और तंत्र की मिली जुली भूमिका होती है। लोक स्वराज्य में लोक द्वारा निर्मित संविधान का शासन होता है। पश्चिम के देशों में लोक स्वराज्य की दिशा में