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Showing posts from August, 2012

वस्त्रहीन होना अगर अश्लीलता है तो

वस्त्रहीन होना अगर अश्लीलता है तो १. जैन समाज में इसे किस रूप में देखा जाता है ? २. नागाओं की वस्त्रहीनता को क्या कहा जाएगा ?

प्रतिबन्ध हमें मंजूर नहीं .

प्रतिबन्ध हमें मंजूर नहीं . -------------------------- किसी भी तरह की आज़ादी पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए . अफवाहों का प्रतिकार किया जाना चाहिए . अफवाह फ़ैलाने वाले स्वयं अपनी विश्वसनीयता खो देंगे . हाँ, सोशल मीडिया में फेक आईडी कायम न हो, इसके लिए ज़रुरी प्रबंध हों .
"बेटी बचाओ" यह नारा आज आम है . बेटों के बारे में क्या विचार है ?
काला धन नहीं नहीं कोयला धन
* अन्धविश्वास अपनाना अपनी सोच के कदमों को रोकना है .
इस देश को कौन चला रहा है, कोई हमें भी तो बताये. या हमें यह जानने का अधिकार ही नहीं है .
काश ! मायावती ने जो पैसा मूर्तियों में लगाया, वह गरीबों को रोजगार देने में लगाया होता .
सदन को जो चलाना चाहे, कहीं से भी चलाए. पर माईक को तो बंद कर दिया करो मेरे भाए.
* ईमानदार व्यक्ति को किसी के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती .
#    इंसान होना, अल्पसंख्यक है क्या ?
* ईमानदार व्यक्ति को कष्ट झेलने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए .
* व्यक्ति की असली पहचान उसके कर्मों से होती है, दिखावे से नहीं .
दाल, सब्जी नहीं खायी जाती,  घर पे नहीं बना सकते,  कोई बात नहीं मोबाइल लीजिये,  फ़ोन कीजिये, होटल से मंगा के खाईये,  हो गयी न गरीबी दूर .

क्या लोक संसद ही व्यवस्था परिवर्तन है ? -- बजरंग मुनि

क्या लोक संसद ही व्यवस्था परिवर्तन है ?                                                            ------ बजरंग मुनि                आज भी भारत में बहुत लोग ऐसे हैं जो रामराज्य के समर्थक हैं। गांधी जी भी रामराज्य को आदर्श स्थिति मानते थे। रामराज्य का अर्थ है सुराज्य अर्थात अच्छे व्यक्ति का शासन। प्रश्न उठता है कि राम के काल में सुशासन था तो रावण का कुशासन भी तो राम के ही कालखण्ड में था। तो क्या उस समय सुशासन या कुशासन राजा की इच्छा पर निर्भर करता था तथा जनता की उसमें कोई भूमिका नहीं थी? क्या राजा पूर्ण तानाशाह था? और यदि वास्तव मे राम के काल मे ऐसा ही था तो हमे ऐसा राम राज्य नही चाहिये। चाहे ऐसे रामराज्य की प्रशंसा गांधी करे या अन्ना हजारे।               व्यवस्था तीन प्रकार की होती है (1) राजतंत्र या तानाशाही (2) लोकतंत्र (3) लोक स्वराज्य। तानाशाही में शासन का संविधान होता है। लोकतंत्र में संविधान का शासन होता है किन्तु संविधान निर्माण में लोक और तंत्र की मिली जुली भूमिका होती है। लोक स्वराज्य में लोक द्वारा निर्मित संविधान का शासन होता है। पश्चिम के देशों में लोक स्वराज्य की दिशा में
'निंदक नियरे राखिये' यानि विरोधियों को नज़दीक ही राख़ कर दीजिये .
आखिर कांग्रेस हित में अन्ना आन्दोलन का समापन हुआ. पैदा भी कांग्रेस द्वारा ही कराया गया था. क्या आप जानते हैं ?
'न 9 मन तेल होगा न राधा नाचेगी' में राधा ने 9 मन तेल माँगा होगा क्या नाचने के लिए ?

अपनी डफली

सब अपनी डफली अपने राग पे लग गये हैं.  अब अपनी डफली कोई किसी को क्यों देगा,  पहले किसी की डफली किसी ने तोड़ दी होगी.