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Showing posts from January, 2012

गणतन्त्र

क्या हमारा गणतन्त्र अधूरा है ?

अन्ना का थप्पड़

अन्ना का थप्पड़ किस-किस को पड़ेगा ? भ्रष्टाचार हिन्दोस्तान की नस-नस में फ़ैल चुका है .

जूतम-पैजार

जो जनता के खिलाफ काम करे उसे भी जूते, जो जनता की आवाज उठाये उसे भी जूते . यह जूतम-पैजार बंद होनी चाहिए .
क्यों डर रहे हो सलमान रश्दी से, खा तो नहीं जाएगा, आने दो !

विक्षिप्त मानसिकता

जूता, चप्पल, थप्पड़, स्याही विक्षिप्त मानसिकता की परिचायी करके कुछ दिखलाया होता तब मिलती इनको वाहवाही
अन्ना हजारे हुए बेचारे !
कुशवाहा ! कुश ! वाहा ! कुशवा ! हा !