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Showing posts from 2010
प्याज रुलाए दूजी बार . पर न गिरे अब सरकार .

अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक

अब आतंकवाद के नाम भी अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक होने लगे हैं ...

चिन्तक

'चिन्ता' चिता समान है, यह जानते हुए भी कुछ लोग 'चिन्तक' हुआ करते हैं .

हर्जाना भरा जाए

संसद के इस अधिवेशन में देश का डेढ़ अरब रुपया बर्बाद करने पर सांसदों को इसका हर्जाना भरना चाहिए . प्रत्येक सांसद को चाहिए कि वह २५-२५ लाख रुपए सरकारी कोष में जमा कराए .

पीठ क्यों थपथपाई

मुझे एक बात समझ नहीं आई. मनमोहन ने राजा की पीठ क्यों थपथपाई .

धर्म

नेक कर्म धर्म है . बुरा कर्म अधर्म है .

कन्या भ्रूण हत्या

एक नारा यह भी - ''कन्या भ्रूण हत्या बंद करो ।'' टिप्पणी - और बालक भ्रूण हत्या चलने दो क्या  ?

काला धन

एक नारा - '' विदेशों से काला धन वापिस मंगवाया जाए ।'' टिप्पणी - पहले विदेशों में काला धन जाना तो बंद कर लो ।

गौरमिंट

मेरे पड़ोस में एक बुजुर्ग व्यक्ति रहते थे . सरकार के बारे में उनकी परिभाषा थी- " गौरमिंट उसे कहते हैं जो मिन्ट-मिन्ट में गौर करे."

खेल भावना

खेलों से दुनियाभर में मैत्री का संदेश जाता है . इन खेलों से विश्व में भारत का मस्तक और ऊँचा हुआ है .
सब कुछ सितारों पर निर्भर है !

सवाल जवाब

क्यों नहीं इन्साफ़  की  करते हैं बात सब ज़ुदा-ज़ुदा है क्योंकि आदमी की जात सब

फिर से सोचना होगा !

मुझे लगता है कि मुझे अपने बारे में भी पुनः सोचना होगा कि मैं कौन हूँ और कैसा हूँ । ऐसा हूँ तो ऐसा क्यों हूँ ।

चिंतन मनन में हूँ अभी

चिंतन मनन में हूँ अभी । इंतजार करें ।