किस तरह ज़िन्दा हो तुम 
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बेवफाई का गिला हमने जो उनसे कर दिया
दोष इसका हाय, हम पर ही उन्होंने धर दिया 

मुस्करा कर तो कभी चुप साध कर प्रतिवाद में 
मेरे हर आरोप का खंडन उन्होंने कर दिया 

दिल की चोरी और उस पर सीनाज़ोरी, ऐ सनम 
आपने तो मात सबको इस कला में कर दिया

प्यार से मरहम लगाने की जगह बेदर्द ने,
लेके चुटकी में नमक, ज़ख्मों में मेरे भर दिया

आप की नज़रों में ठहरा एक मुज़रिम इसलिए
आपने मुझको गिरफ्तार-ए-मुहब्बत कर दिया

मुझको हैरत है की 'अर्पित' किस तरह ज़िन्दा हो तुम
इश्क में पड़कर जो तुमने ओखली में सर दिया .

+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ अर्पित अनाम

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