मत रोको तुम उनको


सर मेरा दीवारों से टकराने दो
इस दिमाग को अब तो बस फट जाने दो
जिंदा रह के आखिर क्या कर पाऊंगा
अब न रोको मुझको तुम मर जाने दो
ख़ुशी नहीं जब कोई भी अब शेष रही
गीत विरह के गाता हूँ तो गाने दो
तुमको क्या है उनको क्यों कुछ कहते हो
गम का मेरे उनको जश्न मनाने दो
मिलता है गर चैन उन्हें कुछ 'अर्पित' यूँ
मत रोको तुम उनको,    खूब सताने दो .
***** अर्पित अनाम

Comments

Popular posts from this blog