मस्त आँखों के पियो जाम
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पीके आँखों से लगी दिल की बुझा लेता हूँ 
माशुका तेरी कसम, तुझको दुआ देता हूँ 
तेरी मदमस्त निगाहों ने कर्म मुझपे किया 
ज़िन्दगी भर न अपना मुझे कुछ होश रहा
पीके मैं जाम नशीले तेरे, जी लेता हूँ
माशुका तेरी कसम, तुझको दुआ देता हूँ
छोड़ दो पीना शराब अब तो ये मेरे यारो
मस्त आँखों के पियो जाम नशीले, यारो
अब कहां सब्र मुझे, मैं तो पिए लेता हूँ
माशुका तेरी कसम, तुझको दुआ देता हूँ
तेरी आँखों में मिला मुझको मिरे गम का इलाज
अब न 'अर्पित' सिवा तेरे मिरा कोई आज
जानकर तुझको मसीहा, ये दवा लेता हूँ
माशुका तेरी कसम, तुझको दुआ देता हूँ .
----------------------------------------------अर्पित अनाम

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