जीत कर भी हारता है इंसान

कई बार एक व्यक्ति को एक ही समय कई-कई मोर्चों पर लडाई लड़नी पडती है । अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में घिरे व्यक्ति को अपनों से भी युद्घ करना पड़ता है । इस युद्घ में वह जीत भी सकता है और हार भी सकता है । किंतु इस जीतने और हारने दोनों में उसकी हार ही होती है ।

Comments

  1. हुज़ूर आपका भी ....एहतिराम करता चलूं .......
    इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

    ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
    अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
    -(बकौल मूल शायर)

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