हो तेरा इन्साफ़ 'अर्पित' एक सा सब के लिए
++++++++++++++++++++++++++++++++
ढूँढने से क्या मिलेगा वो किसी इन्सान को
कर कोई तू काम ऐसा, खुश करे भगवान को
मन्दिरो-मस्जिद दुखी हैं यूँ की उनके नाम पर
मिल गई है छूट नर संहार की शैतान को
सोचिये गिरिजाघरों में सर झुकाकर क्या मिला
और गुरु द्वारों में जाकर क्या मिला श्रीमान को
कर भला औरों का, तेरा भी भला हो जाएगा
तू अगर इन्सान है तो त्याग दे अभिमान को
हो तेरा इन्साफ़ 'अर्पित' एक सा सब के लिए
निर्धनों को दे वही इन्साफ़ जो धनवान को
**********************************************अर्पित अनाम
++++++++++++++++++++++++++++++++
ढूँढने से क्या मिलेगा वो किसी इन्सान को
कर कोई तू काम ऐसा, खुश करे भगवान को
मन्दिरो-मस्जिद दुखी हैं यूँ की उनके नाम पर
मिल गई है छूट नर संहार की शैतान को
सोचिये गिरिजाघरों में सर झुकाकर क्या मिला
और गुरु द्वारों में जाकर क्या मिला श्रीमान को
कर भला औरों का, तेरा भी भला हो जाएगा
तू अगर इन्सान है तो त्याग दे अभिमान को
हो तेरा इन्साफ़ 'अर्पित' एक सा सब के लिए
निर्धनों को दे वही इन्साफ़ जो धनवान को
**********************************************अर्पित अनाम
Comments
Post a Comment