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Showing posts from June, 2009

क्या घड़ा अभी भरा नहीं

अपराधी किस्म के लोग राज कर रहे हैं और शरीफ लोग घरों में दुबक कर बैठे हैं । ये शरीफ लोग किस बात का इंतजार कर रहे हैं । क्या घड़ा अभी भरा नहीं है ?

जीत कर भी हारता है इंसान

कई बार एक व्यक्ति को एक ही समय कई-कई मोर्चों पर लडाई लड़नी पडती है । अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में घिरे व्यक्ति को अपनों से भी युद्घ करना पड़ता है । इस युद्घ में वह जीत भी सकता है और हार भी सकता है । किंतु इस जीतने और हारने दोनों में उसकी हार ही होती है ।

निराशाजनक व्यवस्था

भारत की वर्तमान व्यवस्था बहुत ही निराशाजनक हो गई है । सारी शक्ति ऊपर बैठे चंद हाथों में सिमट कर रह गई है । नीचे बैठे लोग अक्सर ज्यादती का शिकार होते रहते हैं और कुछ नहीं कर पाकर मन मसोस कर रह जाते हैं । आख़िर कब तक होगा ऐसा ?
सच बोलूं जो तब तो शामत आती है । चुप रहना भी नागवार गुज़रे है मुझे ॥ - अर्पित अनाम
बन्दा उम्र बढ़ने के साथ - साथ व्यवहारिक हुआ जाता है । भावुकता पीछे छूटने लगती है । अनुभव की ठोकरें सिखा-सिखा कर परिपक्व बना देती हैं । - अर्पित अनाम